देश दुनियां

क्यों रहता है दरिद्र व्यक्ति का सारा जीवन संघर्षों में ?

व्यक्ति के जन्म लेते ही उस व्यक्ति की कुंडली में बहुत से ऐसे योग बनते हैं, जो उस व्यक्ति को अच्छे या बुरे फल प्रदान करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का भाग्य उसकी कुंडली में लिखा होता है. यदि किसी व्यक्ति के भाग्य में समस्याएं लिखी हैं तो जीवन भर उसे इसका सामना करना पड़ सकता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ योग हैं तो वह व्यक्ति अपने जीवन में तरक्की करेगा और अपार सफलता, धन और यश हासिल कर सकता है। लेकिन यदि अशुभ योग बन रहे हों तो उस व्यक्ति का सारा जीवन संघर्षों में कट जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे दरिद्रता कहा जाता है।

कैसे बनता है दरिद्र योग?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शुभ ग्रह किसी अशुभ ग्रह के संपर्क में आ जाता है. तो दरिद्र योग का निर्माण होता है. देव गुरु बृहस्पति 6 से 12वें भाव में बैठे हो, तो भी दरिद्र योग का निर्माण करते हैं. इसके अलावा जब शुभ योग केंद्र में हो और धन भाव में पापी ग्रह बैठा हो तब दरिद्र योग का शिकार हो सकते हैं. चंद्रमा से चौथे स्थान पर पाप ग्रह होने से भी दरिद्र योग का निर्माण होता है।

बचने के उपाय?

दरिद्र योग से बचने के कुछ उपाय बताए गए हैं

1. ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि कुछ विशेष उपाय करने से आप दरिद्र योग के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं. इसके लिए आपको अपने घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाना चाहिए। 2. माता-पिता और जीवनसाथी का सदैव सम्मान करना चाहिए।3. दरिद्र योग के लिए गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें।4. तीन धातु का छल्ला मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए या फिर तीन धातु का कड़ा भी हाथ में धारण कर सकते हैं।5. इसके अलावा दरिद्र योग के नाश के लिए गीता के 11 अध्याय का पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button